स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय
आप सबमें से स्वामी विवेकानन्द जी के बारे में कौन नहीं जानता है फिर भी आपको बताता चलूँ कि भारत रत्न डा०ए०पी०जे० अब्दुल कलाम सर के हीरो स्वामी विवेकानन्द जी थे |अच्छा आप बताए आप निकलोटेलशा को जानते है ? अच्छा सुभाष चन्द्रबोश , लालबहादुर शाश्त्री, को जानते ही होंगे आपको पता है इनके प्रेरणा दायक हीरो स्वामी विबेकानन्द जी थे |
ऐसा माना जाता है कि स्वामी जी की माता भुवनेश्वरी जी को स्वप्न में भगवान शिव के दर्शन होते है और भगवान शिव उन्हे स्वप्न बताते है कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतरण हो रहे है |
इस बात से उनकी माता जी बहुत प्रसन्न होती है|
बचपन:-
स्वामी विवेकानन्द जी का बचपन से ही ईश्वर को जानने व ईश्वर से मिलने का शौक रहता था
उनका मन खेलने कूदने के बजाय पुस्तको को पढना व ज्ञान अर्जित करने मे लगा रहता था |
वे जिससे भी मिलते बस एक बात पूँछ लेते क्या आपने ईश्वर को देखा है |
कुछ दिनो बाद उनकी भेंट पँ०श्री रामकष्ण जी से हुई और वे उनकी वेश-भूषा देखकर बहुत प्रसन्न हुए तथापि एक ही प्रश्न किया हे महापुरुष क्या आपने ईश्वर को देखा है ?
पँ० श्रीराम क्रष्ण जी मुस्कारते हुए बोले हाँ वत्स मैने ईश्वर के साक्षात दर्शन किये है |
स्वामी जी इस बात को सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हे गुरू मानकर उनकी कुटिया में प्रस्थान कर गये |
पँ० श्रीराम क्रष्ण जी नरेन्द्र से मिलकर बहुत खुश हुए और समझ गये ये लड़का सभी बच्चो से काफी अलग उन्होने महसूस किया कि आखिर मुझे जिस बच्चे की तलाश थी वो मिल गया मुझे अब अपनी सारी जानकारी इस बच्चे से शेयर करने में कोई परेशानी नही है|
प० श्रीराम क्रष्ण के बाद पूरा पाठशाला बेघर सा हो गया था अब नरेन्द्र 23 वर्ष के हो गये थे और उनकी जिम्मेदारी हो गयी थी कि वो पाठशाला का ध्यान रखे व विद्यार्थीयों को पढाये |
नरेन्द्र अपने सभी विद्यार्थीयों को पढाने लगे व पढाई के साथ -साथ अपने घर परिवार का ध्यान रखने लगे |
स्वामी विवेकानन्द अपने सभी विद्यार्थीयों को दूसरे देशो के इतिहास के बारे में बताते व प्लेटो ,एरिस्टोटल, हेगल, महात्मा बुद्ध जैसे महान भावो से मार्गदर्शन कराते, साथ ही साथ कर्म, योग,भक्ति का ज्ञान देते थे |
ऐसा माना जाता है उनके पास बस एक डण्डा और एक,कटोरा था उन्हें जाति,धर्म,छुआ छूत से सख्त नफरत थी |
अनमोल बचन
1- उठो जागो और तब तक ना रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ती ना हो जाए |
2- दिल और दिमाग के टकराव मे हमेशा दिल की सुनो
स्वामी जी कहते है जब जब दिल और दिमाग टकराने लगे तो आप हमेशा दिल की ही सुनो
दिमाग बहक जाता है पर दिल एकाग्र रहता है |
जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नही है पर रिश्तो में जीवन होना अतिआवश्यक है|
स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है
( 1) जब तक आप खुद पर विश्वास नही करते तब तक भगवान पर विश्वास करना व्यर्थ है |
(2)जब कभी राँह चलते कोई समस्या ना आये तो यह शुनिश्चित करले कि आप गलत मार्ग पर है|
(3) सबसे बडा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना स्वयं पर विश्वास करना |
( 4)अच्छे लोगो की एक खुबी है उन्हे याद रखना नही पडता याद रह जाते है|
( 5) इसान खुद की नजर में सही होना चाहिए ,बाकी दुनिया तो भगवान से भी दुखी है|
ब्रम्हाण्ड की सारी शक्तियाँ हमरी है एक हम ही है जो अपनी आँखो पर हाथ रखकर कहते है देखो कितना अन्धेरा है |
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आप सभी को धन्यवाद :-
जो इंसान खुद पर रिसर्च करता है
जमाना उसे गूगल पर सर्च करता है|
पोस्ट अन्य
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निवेदन :- स्वामी विवेकानन्द जी के बारे बात करो तो करते रह जाओ उनके द्वारा दि गई कुछ को सम्मलित कर सका हूँ |
आप को यह कैसा लगा आप हमें
Mo.9721336203 पर अवश्य बताये
आपका
Saurabh ma ur ya🌹💕
Hi f
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपके इस सुझाव से हमें प्रसन्नता हुई है आपके द्वारा हमें मिला फीडबैक हमारे लिए सौभाग्य की बात है....
आप हमारी सभी पोस्ट को अवश्य देखें अपने दोस्तों को भी भेजें...