जीवन परिचय :-
भारत के जाने माने शिक्षक भारत रत्न सर्वपल्ली डा० राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर सन 1888. को तमिलनाडु के तिरूतानी गांव में हुआ था इनके पिता का नाम वीरा स्वामी तथा माता का नाम श्रीमती सीतम्मा था ꫰ राधाकृष्णन अपनी पढ़ाई मद्रास क्रिश्र्वियन कॉलेज से की जहां पर बी०ए० तथा एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की इन्होंने अपना विवाह 17 वर्ष की उम्र में शिवकमुअम्मा से की ꫰
सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन अपने शिक्षक दिवस के रूप में सहायक अध्यापक से लेकर ये विभिन्न विषय विद्यालयों में कुलपति रहे इन्होंने अपनी शिक्षक जीवनी सन 1909 मद्रास के वरिष्ठ विद्यालय से शूरू की ꫰
इन्होंने अपने जीवन काल में अनेक पुस्तको की रचना की जैसे ;- द एथिक्स ऑफ वेदांत, द फिलासफी ऑफ रविंद्र नाथ टैगोर, तथा माय सर्च फॉर टूथ जैसी अनेक पुस्तकों की रचना की सन 1954 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और शिक्षाविद के रूप में भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया
सन 1955 से 1962 तक भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति रहे और सन 1962 में सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन भारतीय गणतंत्र के दूसरे राष्ट्रपति बने और लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करते रहे꫰
अपने शिक्षक काल से राष्ट्रपति बनने तक के सफर में अनेको अनेक उपाधि हासिल की जो सराहनीय है ꫰ सर्वपल्ली डा०राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में इसीलिए मनाया जाता है और मनाया जाता रहेगा ꫰
अनमोल बचन जो हमसबको प्रेरित करते रहते है
सर्वपल्ली डा० राधाक्रष्णन द्वारा लिखित व कथित अनमोल बचन निम्न है -
(1) दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जायेंगे यदि यह सत्य है कि प्रेम द्वेष से शक्तिशाली होता है और उन्हें प्रेरित नहीं करता ꫰
(2) केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है जो स्वयं के साथ ईमानदारी आधुनिकता अखंडता की अभिवार्यता रखता है ꫰
(3) शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं से लड़ सके ꫰
(4) पुस्तके वो साधन है जिससे हम विभिन्न सँस्क्रतियों के बीच अपने कुल का निर्माण कर सकते है ꫰
(5) उम्र या युवावस्था का कालक्रम से कोई लेना देना नहीं है हम उतने ही जवान या बूढ़े हैं जितना कि हम महसूस करते हैं हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यह मायने रखता है ꫰
(7) लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के लिए नहीं बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में यकीन है ꫰
(8) मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नहीं बल्कि आत्मा की महानता को भी प्राप्त करने की जरूरत है ꫰
(9) हमें मानवता को उस नैतिक जडो़ तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुसासन और स्वतन्त्रा दोनो का उदगम हो ꫰
(10) किताब पढना हमें एकान्त में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी देता है ꫰
(12) शाँति राजनैतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से लाई जा सकती है꫰
(13) भगवान हम सबके भीतर रहता है और हर समय महसूस करता है कष्ट सहता है और हर समय के साथ उसके गुण ज्ञान सौंदर्य और प्रेम इनमें से हर एक के अंदर उजागर करता है ꫰
(14) हिंदू धर्म सिर्फ एक आस्था नहीं है यह तर्क और अंदर से आने वाली आवाज का समागम है जिसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है परिभाषित नहीं ꫰
(15) सच्चा गुरू वो है जो हमे खुद के बारे में सोचने में मदद करता है ꫰
तो दोस्तों ये थी कुछ सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन द्वारा कथित वा लिखित अनमोल वचन इन्होने अपने जीवन में अनेको बचन प्रस्तुत किये ꫰
सर्वपल्ली डा०राधाक्रष्णन अपने कार्य को इमानदारी पूर्वक करने के बाद अपने गाँव चले गये और 17 अप्रेल सन 1975 में इनका निधन हो गया ꫰
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