करवा चौथ व्रत Karwa Chauth

करवा चौथ का महत्व... 

करवाचौथ दो शब्दो से मिलकर बना है `करवा यानी' मिट्टी का बर्तन `चौथ' यानी गणेश जी की तिथि चतुर्थी ! 
प्रेम-त्याग व विश्वास के इस महापर्व में मिट्टी के बर्तन यानी करवे की पूजा का विशेष महत्व है , जिसमें रात्री को चन्द्रमा के दर्शन पश्चात जल अर्पण किया जाता है ! 

करवा चौथ... यह एक ऐसा दिन है जिसका सभी हिंदू विवाहित स्त्रियां साल भर इंतजार करती है और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा -भाव से पूरा करती है करवा चौथ का त्यौहार पति पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार तथा विश्वास का प्रतीक माना जाता है । कार्तिक मास की चतुर्थी जिस रात को रहती है उसी दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है!  

 

करवा चौथ के व्रत के नियम -

सभी सुहागिन महिलाएं प्रातः सुर्योदय के बाद पूरे दिन निर्जला रहकर उपवास करती है दिन में शिव पार्वती तथा कार्क्तिक  भगवान की पूजा की जाती है शाम को देवी माता की पूजा की जाती है जिसमें पति की लंबी आयु की कामना की जाती है!
 
(1) इस व्रर्त में अलग-अलग रिवाजों के अनुसार दिन में कहीं-कहीं जल ग्रहण कर लिया जाता है जिससे ऊर्जा बनी रहती है इसलिए आप अपने यहां के रीति रिवाज के अनुसार व्रत रख सकती है! 

(2) इस व्रर्त के अनुसार महिलाओं को अपना पूरा श्रंगार करना चाहिए मेंहदी के साथ सोलह श्रंगार पूरे करने चाहिए! 

(3) इस व्रर्त में मिट्टी के बर्तन (करवा) लिए जाते है और उनकी पूजा की जाती है फिर करवा माता की कथा सुनी जाती है जो सुनना बहुत जरूरी है! 

(4) यह व्रर्त चन्द्रदेव के दर्शन होने तक रखा जाता है इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर यह व्रर्त खोल दिया जाता है! 

(5) ऐसा कहा जाता है कि चन्द्रमा को पूजा के पश्चात छलनी (छन्नी) में देखा जाता है इसके बाद पति को भी छलनी में देखा जाता है! 

करवा चौथ व्रत विधि -

सर्वप्रथम - 💥 "मम सुख सौभाग्य  पुत्रपुत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रत महम करिष्ये '' ! 💥
* दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों को         घोल कर करवा चित्रित करें! 

* आठ पूड़ियों की अठावनी बनायें, हलवा बनाये अथवा     पक्का भोजन तैयार करें! 

* पीली मिट्टी से गौरी बनायें तथा उनकी गोद में गणेश जी को बैठा दें! गौरी को आम की चौक पर आसन बना कर बिठा दे चुनरी से सजाये व श्रंगार पूजा करें! 

* जल से भरा हुआ एक कलश रूपी लोटा रखे . 

* वायना (भेंट,बैना) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें , जिसमें गेहूं,चावल, चूरा ,या शक्कर भरकर रखें करवा के ढक्कन में थोड़ी शक्कर भर लें और उसके ऊपर दक्षिणा रख दें 

* गौरी गणेश अथवा चित्रित करवा की परंपरा अनुसार       पूजा करें तथा पति की दीर्घायु की कामना करें.

💥"नम: शिवायै शर्वाण्ये सौभाग्यं संतति सुभाम्! 
प्रयच्छ भक्तियुक्तानाम नारीणां हरवल्लभे ''💥

*कथा सुने कथा सुनने के पश्चात अपने पति के साथ सास ससुर के पैर छुए आशीर्वाद प्राप्त करें! पति को भोजन कराएं व स्वयं भोजन करें! 


🌹💥करवा चौथ व्रत कथा -💥🌹

शास्त्र के अनुसार बहुत समय पहले इन्द्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेद शर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था ! वेद शर्मा का विवाह लीलावती से हुआ था! इनके सात महान पुत्र थे तथा वीरावती नाम की एक गुणवान पुत्री थी! वह माता-पिता के साथ अपने भाइयों की लाडली थी!  

जब वह विवाह के लायक हुई तो उसका विवाह एक ब्राह्मण नवयुवक से किया गया|शादी के बाद जब विरावती अपनी सभी भाभियों के साथ अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा तो भूख प्यास सहन ना कर सकी तथा मुर्क्षीत होकर जमीन पर गिर गई  |

यह दयनीय स्थित उनके सभी भाईयों को देखी ना जारही थी उन्हें पता था कि उनकी बहन पतिवर्ता नारी है बिना चन्द्रदर्शन जल ग्रहन नहीं करेगी! 

तब सभी भाइयों ने एक योजना बनाई जिससे उसकी बहन भोजन ग्रहण कर ले उनमें से एक छोटे भाई ने कुछ दूर जाकर वट वृक्ष पर हाथ में छलनी व दीपक लेकर चढ.गया जब वीरावती मुर्क्षा से जगी तो सभी भाईयों ने कहा चन्द्रोदय हो गया है चलो आपको छत के ऊपर से दिखाते है ! 

वीरावती ने वटवृक्ष के पास जल रहे दीपक व छलनी को देखकर विश्वास कर लिया कि चन्द्रमा निकल आया है ! 
भूख प्यास से ब्याकुल वीरावती ने शीघ्र ही चन्द्रदर्शन मान कर जल अर्पन कर व्रत को खोल दिया ! 

वीरावती जब भोजन करने लगी तो उसे असुभ संकेत मिलने पहले कौर में बाल मिला दूसरे में छीक तथा तीसरे कौर में ससुराल से निमंत्रण मिल गया वीरावती जब ससुराल पहुंची तो अपने पति का म्रत शरीर देखा तो रोने लगी तथा व्रत के पश्चात हुई भूल के लिए क्षमा मांगने लगी 😥विनती करते हुए माता इन्द्राणी से पूंछने लगी कि करवा चौथ के दिन मेरे पति की म्रत्यु क्यों हुई मुझसे व्रत के  दौरान क्या भूल हुई है 😥

तब वीरावती का दुख देखकर देवी इन्द्राणी ने वीरावती से कहा तुमने चन्द्रदर्शन के बिना ही व्रत को खोल दिया है इसलिए तुम्हारे पति की यह दशा हुई है ,किन्तु जाओ पूरे एक वर्ष की पृत्येक माह में प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखो तुम्हारा पति पुन: जीवित हो जायेगा ! 

वीरावती माता इन्द्राणी की बात मान विधि विधान व्रत रखकर अपने पति को पुन: प्राप्त कर लिया.. 🙂
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नोट- यह मात्र लेख के रूप में है आप अपना व्रत अपनी परंपरा के अनुसार करें जैसा कि आपके पूर्वज करते आ रहे है :
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दोस्तो आप सबको एक बार फिर माताओं बहनों के इस पवित्र त्यौहार करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं आप मुझसे इन 👇लिंक पर भी जुड़ सकते है और सुझाव दे सकते है! 
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