विजयादशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन
ऐसा माना जाता है कि विजयादशमी के शुभ अवसर पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन अत्यन्त शुभ होते है ।
नीलकंठ महादेव का मंगलकारी एवं शान्ति प्रिय मूर्त के अंर्तगत एक सौम्य स्वरूप माना जाता है
इस सौम्य स्वरूप के विषय में श्रीमद्भभगवत के आठवें अध्याय में एक कथा आई है जिसके अनुसार समुन्द्र मन्थन के समय समुन्द्र से 'हलाहल' नामक विष निकला तदोपरान्त सभी देवी देवताओं के साथ मां पार्वती के अनुमोदन पर महादेव ने हलाहल नामक विष का पान लिया तथा हलाहल विष को अपने कंठ में रोक लिया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नील कंठ कहा जाने लगा ।
(तत्पहेमनिकायाभं शितिकंठम त्रिलोचन )से कहकर
नीलकंठ स्वरुप का वर्णन किया गया है ।
नीलकंठ पक्षी-
वर्तमान समय में उड़ने वाले नीलकंठ (पक्षी) को शिव का प्रतीक माना जाता है , ऐसा कहा जाता है कि उड़ते हुए नीलकंठ को देखना शुभ संकेत होता है ।
*खगोपनिषद* के अनुसार नीलकंठ शाक्षात, शिव का स्वरूप है जो शुभ-अशुभ का घोतक है ।
पुरुष द्वारा सम्मुख देखे जाना नील कंठ का दर्शन शुभ माना जाता है उड़ता हुआ नील कंठ अंग के बायें तरफ दिखाई दे तो विजय पराक्रम का शुभ संकेत माना जाता है तथा प्रष्ठ भाग का दर्शन हानिप्रद माना जाता है ।
भूमि पर बैठा नील कंठ स्त्री शोक , शुष्क काष्ठ पर बैठा पुत्र शोक तथा जलाशय पर बैठा दर्शन व्यापार व संतति लाभ का सूचक माना जाता है ।
अगर नीलकंठ अविवाहित के मस्तक के पास से उड़ता है तो यह अत्यन्त शुभकारी माना जाता है कामना पूर्ति , आर्थिक स्थिति में सुधार अतिशीघ्र वैवाहिक बन्धन से बधने का शुभ सूचक आघोत माना जाता है ।
ज्योतिषाचार्य
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आप सभी के पूरे परिवार को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
यह त्यौहार असत्य पर सत्य ,बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है ।
आज के दिन अशोक विजया दशमी मनाई जाती है
तथा रावण के पुतले को जलाकर दशहरा मनाया जाता है
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jai ho
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपके इस सुझाव से हमें प्रसन्नता हुई है आपके द्वारा हमें मिला फीडबैक हमारे लिए सौभाग्य की बात है....
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