Dhanterash धनतेरस कथा

धनतेरस क्यों मनाते है

धनतेरस हिन्दुओं का पवित्र त्यौहार है यह पर्व कार्तिक मास के क्रष्ण पक्ष में त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाता है इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी व धन के देवता कुबेर जी की पूजा की जाती है धनतेरस के दिन लोगों द्वारा सोना, चांदी, बर्तन, आदि चीजे खरीदना व दान करना शुभ माना जाता है आज के दिन एक दीपक भी जलाया जाता है शाश्त्रो के अनुसार आज के दिन की कई कथाएं जुड़ी है जैसे -👇

धनतेरस की पौराणिक कथा -

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णू जी को एक बार म्रृत्यूलोक घूमने की लालसा मन में उत्पन्न हुई जब यह बात माता लक्ष्मी जी को पता चली तो उन्होंने भी भगवान विष्णु जी के साथ मृत्युलोक घूमने का आग्रह किया भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा अगर तुम मेरी हर बात मानोगी तो अवश्य ही मृत्युलोक ले चलूंगा माता लक्ष्मी ने यह बात स्वीकार कर ली ! 
यह बात कह कर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी जी के साथ मृत्यु लोग आ गए जब मृत्यु लोग आए तो भगवान विष्णु ने कहा आप यहीं पर कुछ समय के लिए  ठहर जाए मैं दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा हूं कुछ समय बाद यहीं पर मिलूंगा यह बात कह कर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए । 

भगवान विष्णु के अंतर्ध्यान होने के पश्चात माता लक्ष्मी को रहा नहीं गया उन्होंने मन ही मन विचार किया ऐसा क्या है दक्षिण दिशा में जो प्रभु मुझे यहां पर ठहर जाने को कह गए हैं माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के पीछे पीछे जाने लगी और आगे चलकर देखा एक बगीचे में बहुत सुंदर सुंदर फूल खिले हुए हैं माता लक्ष्मी सुंदर फूलों द्वारा अपना श्रंगार करना चाहा और कुछ पुष्प तोड़ लिए पुष्प तोड़ने के पश्चात दक्षिण दिशा की ओर चलना जारी रखा 

कुछ दूर चलने के पश्चात गन्ने की लहलहाती फसल देखी गन्ने की फसल देखकर गन्ने का रस प्राप्त करने के लिए गन्ने का एक पेड़ उखाड़ लिया और उसे तोड़कर रस प्राप्त करने लगी  ! 

 
कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु वापस लौटे तो देखा माता लक्ष्मी नहीं थी भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की तलाश में निकल पड़े तो देखा माता लक्ष्मी एक गन्ने के कई टुकड़े बनाकर उसका रस प्राप्त कर रही है भगवान विष्णु को यह कृत देखकर क्रोध आ गया और माता लक्ष्मी को श्राप दे दिया कि जिस किसान के खेत से आप ने चोरी की है उसकी 12 वर्ष तक सेवा करें तब आपको इस कर्ज से छुटकारा मिलेगा तभी मैं आपको स्वीकार करूंगा यह कहकर भगवान विष्णु क्षीरसागर चले गए । 

यह सुनकर माता लक्ष्मी उसी किसान के घर चली गई और  सेवा करने लगी 1 दिन माता लक्ष्मी स्नान करके एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और किसान की पत्नी से कहा आप प्रातः स्नान करके इनकी पूजा किया करें जिससे आपको धन संपत्ति की कोई कमी नहीं रहेगी आप इनसे जो भी मांगेंगी वह सब प्राप्त होगा ❤ 12 वर्ष होने तक उस किसान के घर धन-दौलत संपत्ति की अपार मात्रा हो गई तब भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को मृत्युलोक से लेने के लिए आए किसान ने माता लक्ष्मी जाने से रोक लिया कहा अब मैं आपको छोड़कर बर्बाद नहीं होना चाहता आपको यही रहना होगा 

 
तब माता लक्ष्मी ने कहा मैं किसी के पास भी नहीं रह सकती किंतु कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन जो भी भक्त मेरी पूजा करेंगे मैं उनके पास सदा बनी रहूंगी त्रयोदशी के दिन मेरे मूर्ति के सामने दीपक जलाकर व कलश में कुछ पैसे रखकर पूजा करने से उसकी धन-संपत्ति बढ़ती रहेगी 

यह कहकर माता लक्ष्मी व भगवान विष्णू अंतर्ध्यान हो गए माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के बताएं अनुसार किसान व उसकी पत्नी धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते और भजन कीर्तन करके दीपक जलाते रहे उनकी सदा धन-संपत्ति में वृद्धि होती रही  ! 

ऐसा भी माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अमृत लेकर बाहर निकले थे जिससे उनकी पूजा की जाती है । 
मिलती जुलती पोस्ट.... पूजा व्रत
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एक बार फिर आप सभी को धनतेरस हार्दिक शुभकामनाएं माता लक्ष्मी की कृपा आप सब पर सदैव बनी रहे ! 
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