महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोले नाथ के साथ पार्वतीजी व गणेश जी की पूजा बड़े विधि विधान से की जाती है कई बड़े शहरो व धार्मिक स्थलों पे रात्रि के समय शिव बारात निकाल कर झाकियों के साथ हर्षौल्लास में मुग्ध होकर यह त्यौहार मनाया जाता है |
आप सभी को शिवरात्रि की पूजा विधि तथा व्रत कथा बताने का प्रयास कर रहा हू तो सभी भक्त जन इस कथा व विधि पर प्रकास डालने की कृपा करे |
महा शिवरात्रि पूजा विधि -
सच्ची श्रधा के साथ अपनी मनोकामनाए पूर्ण करने के लिए भक्तजन महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखकर पूजा करते है पूजा करने के दौरान अपनी अपनी इच्छा अनुसार पूजा सामग्री रखते है जैसे -बेलपत्र ,गाय का दूध ,धुप बत्ती ,चावल ,फूल फल की मान्यता अधिक मानी जाती है |
व्रत रखने वाले भक्त जन सूर्य उदय से पहले बिस्तर त्याग कर पूजा के लिए स्वच्छ फूल फल उतार कर रख लेते है तत्पश्चात प्रातः क्रिया के बाद स्वच्छ जल से स्नान करते है ,,स्नान करने के पश्चात पूजा स्थल की साफ़ सफाई करते है फिर भोले नाथ के ज्योतिर्लिंग को स्नान कराकर बेल पत्र फूल फल चढाते है तथा धुप बत्ती जलाकर रखते है फिर कपूर या घी के दीपक जलाकर आरती पूजा करते है और साथ ही साथ ॐ नमः शिवाय के मन्त्र का जाप करते है और भगवान् शिव की स्तुति ,श्लोक व शिव मन्त्र का जाप करते है और पूरा दिन पूरी रात जाग कर तीन पहर पूजा करते है और शिव भक्ति में लीन रहा जाता है |
एक शिव मन्त्र आप के लिए :-
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम |
उर्वारुकमिव बन्धनानम्रत्यो मुर्क्षीय माम्रतात ||
महाशिवरात्रि की कथा -
भगवान शिव की कथा में महाशिवरात्रि का अध्याय सबसे सुन्दर सब्दो में वर्णित है शिवपुराण के अनुसार चित्रभानु नाम के शिकारी का वर्णन आता है ;-
एक बार की बात है चित्रभानु नाम के एक शिकारी को कुछ साहूकारो ने कर्जे के खातिर बंदी बना लिया साहुकारो का कहना था की इस शिकारी ने मुझसे कर्जे में धन ले ले कर अपना जीवन यापन किया है जब इससे कर्जे के धन को वापस देने को कहा जाता है तो नये नये बहाने बना कर समय बिता देता है
आज इसे बंदी बनाकर अपना पूरा धन वसूल करूँगा |
कर्ज में डूबे चित्रभानु को साहूकार ने पास में बने शिवमठ बंद करदिया संयोग वस उस दिन महाशिवरात्रि भी थी चित्रभानु शिव जी की मठ में बैठ कर भगवान शिव की पूजा आराधना देखता गया साथ ही पूजा कथा में बताई गयी बातो को ध्यान से सुनता गया साहुकारो के पूजा पाठ के बाद चित्रभानु ने अपनी रिहाई के लिए निवेदन करने लगा और कर्जे का सम्पूर्ण धन देने का वादा करने लगा ,,साहुकारो को चित्रभानु के ऊपर फिर से दया आ गयी साहुकारो ने चित्रभानु को रिहा कर दिया |
चित्रभानु अपने कर्जे को चुकता करने के लिए बिना समय देखे शिकार करने के लिए जंगल की ओर निकल पडा चित्रभानु जंगल पहुच ही सका था कि संध्या हो गयी अब शिकारी ने अपनी रात जंगल में बिताने का निश्चय कर लिया साथ ही एक तालाब के लगे बेल के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया बेल पत्र के पेड़ के नीचे एक शिव लिंग भी था जो बेलपत्र से ढका हुआ था रात होते -होते शिकारी चित्रभानु को एक हिरनी दिखाई दी शिकारी ने हिरनी का शिकार करने के लिए धनुष से निशाना साधा की हिरनी ने कहा मुझे न मारो मैं गर्भिणी हु प्यास के कारण तालाब के पास हूँ मैं थोड़ी देर बाद मा बनने वाली हूँ तुम मुझे मा बनने के बाद मार देना मैं वापस आ जाउंगी शिकारी को उस पर दया आगयी और उसे जाने दिया |
भूख प्याश से वंचित शिकारी ब्याकुलता के कारण एक डाल से दुसरे डाल पर बैठता तो कुछ बेल पत्र तोड़कर नीचे फेकता इससे उसका व्रत भी पूरा होता जा रहा तथा पहर भी पूरा होता गया |
कुछ समय पश्चात एक हिरनी फिर दिखाई देती है वो फिरसे निशाना साधता की पहले ही हिरनी बोली मुझे अभी न मारो मैं थोड़ी देर पहले ही ऋतू से निर्वृत होकर आई हूँ और अपने पति की तलास कर रही हूँ मैं अपने पती से मिलने के पश्चात तुम्हारे पास आ जाउंगी शिकारी को फिर दया आ गयी और उसे भी जाने दिया साथ ही धनुष रखने के पश्चात फिर से बेल पत्र टूट कर जमीन गिर गये जिससे उसके व्रत का दूसरा पहर भी पूरा हो गया
बेचैनी के मारे बार बार बेल पत्र तोड़ तोड़ कर डालता जा रहा था |
कुछ समय बाद---------|
कुछ समय बाद एक हिरनी अपने बच्चो के साथ फिर निकली शिकारी गुस्से में आकर निशाना साधा और कहा अब कुछ हो अब इसे मेरा शिकार बनाने से कोई रोक नही सकता बाड़ छुटने ही वाला था की उस हिरनी ने निवेदन करते हुए कहा मुझे अगर इन बच्चो को किशी जिम्मेदार को देने का मौका दो तो ईश्वर तुम्हे हर मुशीबत से बचाएगा मैं अभी वापस आ जाउंगी शिकारी अपनी आँखों को मिल्मिला कर खा जल्दी आना हिरनी के जाते ही शिकारी फिर बेल पत्र तोड़ कर डालने लगा जिससे उसका व्रत पूरा होता जा रहा था |
महाशिव रात्रि के आखरी पहर को पूरा होते होते सूरज की पहली किरण के साथ एक हिरन चित्रभानु को दिखाई दिया शिकारी चित्रभानु ने फिर निशाना साधा की हिरन भी रोते हुए बोला अगर यंहा से गुजरने वाली हिरनियो को तुमने मार दिया है तो मुझे भी मार दो अन्यथा मुझे भी जाने दो वो सब मेरा इन्तजार कर रही होंगी शिकारी आश्चर्य में पद गया उधर भूख प्यास के कारण चक्कर आरहे थे और उधर कर्जे और धर्म की चिंता हो रही थी अब शिकारी ने हिरन को भी जाने दिया हिरन के जाते ही शिकारी कुछ बेल पत्र तोड़ कर चक्कर आने से शिव लिंग के समीप गिर गया जंगल में घनघोर सन्नाटा छा गया |
भगवान भोले नाथ को इस अनजानी पूजा से बहुत प्रसंता हुई और बेहोश हुए चित्रभानु को आशीर्वाद देने के लिए प्रकट होना पडा |
भगवान भोले नाथ ने मूर्छित चित्रभानु को जगाया और कहा तुम्हारी हर इच्छा पूर्ण होगी जाओ इस कथा को जो कहेगा अथवा जो सुनेगा उसकी हर मनोकामनाए पूर्ण हो जाएँगी ______________________________
इस कथा के समापन में आप सब को महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को ये कहानी कैशी लगी हमें जरुर बतायें
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मेरा wattsapp no .9721336203
बहुत बहुत धन्यवाद आपके इस सुझाव से हमें प्रसन्नता हुई है आपके द्वारा हमें मिला फीडबैक हमारे लिए सौभाग्य की बात है....
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