डा० भीम राव अम्बेडकर जी का जीवन परिचय-
बाबा साहेब की शिक्षा में आने वाली समस्याएं-
बाबा साहेब का पढाई में ध्यान लगन बहुत ही तेज था लेकिन गरीब परिवार से होने के कारण इन्हें कोई अच्छी सुविधा नही मिल पाती एक गरीबी तो वंही दूसरी तरफ दलित होने की परेशानी इन्हें कक्षा में बैठने नही दिया जाता था यंहा तक चपराशी इन्हे पानी पीने से साफ़ मना कर देता जब पानी मांगते तो उसे नीची जाती का कहकर धुत्कार दिया जाता
कक्षा के अध्यापक उसे कक्षा से बाहर बैठने को कहते और बोर्ड पर उत्तर लिखने से वंचित रखते थे अबेडकर जी को स्कूल से घर जाने के लिए कोई रिक्शा नही मिलता उन्हें कोई अपने रिक्शा पर इशलिये नही बिठाता क्योकि वो दलित समाज से थे इतनी छोटी उम्र में अम्बेडकर जीको छुआ छूत का ज्ञान भी नही था किन्तु हर बार कक्षा में से अधूरा ज्ञान लेकर आना पड़ता फिर एक आम के पेड़ के पास उसी को दुबारा समझना पड़ता किन्तु अम्बेडकर जी पढने में इतनी रूचि रखते थे की कोई भी इस तरह की रूचि को देखकर अचंभित हो जाता था |
बी० आर० अम्बेडकर जी का टॉप यूंनिवार्सिटी में दाखिला
अम्बेडकर जी की पढाई में काफी परेशानी आई लेकिन फिर भी सभी परेशानियों से जूझते हुए अपना मनोबल कभी कम नही होने दिया ! पढाई करते रहे एक दिन गाय कुडा नामके एक राजा साया जी महराज की नजर अम्बेडकर के उपर पड़ी तो महाराज अम्बेडकर की पढने वाली रूचि से बहुत प्रभावित हो गये
साया जी महराज अम्बेडकर को बुला कर उन्हें स्कालरशिप प्रदान करायी साथ ही टॉप यूंनिवार्सिटी में अच्छी शिक्षा के लिए दाखिला भी करवाया अंबेडकर जी की पढ़ाई में बहुत ज्यादा रुचि थी अंबेडकर जी पढ़ाई करते करते वहीं से इंटरमीडिएट तथा बीए की मार्कशीट प्राप्त की समाज की सभी तरह की समस्याओं को जूझते हुए अंबेडकर जी ने अपनी अगली पढ़ाई प्राप्त करने के लिए न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी मैं दाखिला करवा लिया
जहां से M. A राजनीति शास्त्र M.Aइतिहास M. A Econmics. M. A Sociology तथा P. H. D की डिग्री हासिल की इसके बाद फिर अंबेडकर रुके नहीं और लंदन चले गए जहां पर M.Sc की तथा LAW की पढ़ाई करके फिर Doctorate किया और एक पुस्तक लिखी जिसके आधार पर रिजर्व बैंक इंडिया को बनाया गया अंबेडकर अपनी पूरी पढ़ाई करके वापस साया महाराज के पास आए और कहां मुझे अब अपनी सेवा में लगा लो ।
बाबा साहेब की पहली नौकरी --
अंबेडकर जी की पूरी पढ़ाई होने के बाद साया महाराज ने उन्हें मलेटरी सेक्रेटरी की नौकरी दे दी जो उस समय की सबसे बड़ी नौकरी मानी जाती थी नौकरी तो बड़ी थी लेकिन दलित परिवार से होने के कारण उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता था यहां तक की चपरासी भी अंबेडकर जी को काम की फाइल फेंक कर देता था
और कहता था तुम इतने बड़े पद पर हो इसका मतलब यह नहीं कि तुम ऊंची कास्ट के हो गए हो तुम दलित हो इसी बीच अंबेडकर जी का विवाह रमाबाई अंबेडकर जी से हो गया और उनके पांच संताने हुई पांच संतानों में से एक के बाद एक 4 संताने गंभीर बीमारी से पीड़ित तथा दवा न मिलने के कारण व दलित होने के कारण खत्म हो गई साथ ही साथ अंबेडकर जी की पत्नी रमाबाई अंबेडकर ,,अंबेडकर जी का साथ नहीं दे सकी और एक गंभीर बीमारी से पीड़ित होकर स्वर्ग सिधार गई ।
छुआ छूत से छुटकारा सत्याग्रह -
अब अंबेडकर जी काफी टूट चुके थे क्यों की दलित व छुआछूत जैसी गलतफहमी , अफवाहें पीछा नहीं छोड़ती थी अंबेडकर जी इतना टूटने के बाद भी राष्ट्रहित के लिए समाज को सुधारने के लिए अपना जज्बा कायम रखा और आगे बढ़ चले सन 1927 में सत्याग्रह का आन्दोलन शुरू कर दिया और अपनी जिद बना ली अब कुछ भी हो जाये दलित समाज को कुएं से पानी पीने का अधिकार दिला कर रहूंगा कुएं कोई किसी की प्राइवेट प्रापर्टी नहीं कुएं का स्थान सरकारी जिस पर सभी का पूरा अधिकार है फिर चाहे कोई ब्राम्हण हो या दलित
पूना पैक्ट --
सत्याग्रह के बाद कम्यूनल एलेक्टोरेट की मांग पर फिर अड़ गये अम्बेडकर जी कहने लगे मेरे समाज की कम्यूनिटी के आधार पर दलित समाज की वोटिंग की सुविधा अलग कर दी जाये जिससे दलित समाज खुद शिक्षित होकर आगे बढ सके किन्तु इस मांग को वापस लेने के लिए गांधी जी अड़ गये
और कहा मैं देश दलित समाज को अलग करके भारत को कभी भी आजाद नहीं करवा सकुंगा तुम मुझसे और चाहे कुछ भी मनवा लो पर ये मांग पूरी नहीं होने दूंगा गांधी जी से बहस हो गयी तो गांधी जी अनशन पर बैठ गये कुछ दिन बाद अम्बेडकर जी गांधी जी के पास जाकर कुछ शर्ते मनवाकर अनशन से उठाते है तथा पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत की आजादी में सबसे योगदान की मांग करते है साथ ही रिर्जेवेशन समाज को कन्टरोल में कर लेते है ।
R. B. I की स्थापना --
अम्बेडकर द्वारा रचित दो पुस्तको के आधार पर RBI की स्थापना की गयी दोनों पुस्तकों में एक थी- The Evolution of Provincial Financein British India. तथा दूसरी थी The Problem of the Rupee. साहेब के ज्ञान, बुद्धी, और कौशल का लोहा इंडियन leeder तथा ब्रिटिश leeder दोनो मानते थे ।
कैबिनट में ऊंचा पद तथा संविधान के शिल्पकार बने अम्बेडकर--
सभी के द्वारा काफी प्रयास करने के बाद भारत आजाद हुआ तब सन 1947 में नेहरू अपनी कैबिनट की पहली लिस्ट जब गांधी जी के पास ले गये तो गांधी जी लिस्ट को पकड़ कर कहा इसमें अम्बेडकर जी का नाम कहां है तब नेहरू ने कहा वो तो दलित है और कैबिनट की सूची दलित कैसे हो सकता है ।
महात्मा गांधी जी ने नेहरू का विरोध करते हुए कहा ये कोई ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य अथवा शूद्र का भारत नहीं है ये आजाद भारत है इसमें सभी का योगदान है तो सभी का अधिकार है जाओ और पुन: लिस्ट तैयार करो..... तब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू कैबिनट की सूची में बाबा साहब अम्बेडकर जी को प्रथम कानून मंत्री का पद दिया साथ ही Drafting Committe के चेयरमैन बनाये गये... क्योंकि अम्बेडकर जी सत्ता के लिए कभी नहीं लड़ते थे|
उनका तो बस एक ही मकसद था कमजोर वर्ग को ऊपर उठाना कानून मंत्री बनने के बाद एक के बाद एक नया बिल पेश करते जैसे हिंदू कोड बिल महिलाओं को समान अधिकार नारी सुरक्षा अंबेडकर जी की भाषा तथा भाषण में ,चर्चा तथा आचरण में, इनकी किताबों में इनके द्वारा लेख में कोई भी प्रश्न नहीं उठा सका जिसके फलस्वरूप ही इनके द्वारा संविधान लिखा गया और इन्हें संविधान का शिल्पकार कहा गया जिसके कारण ही आज पूरा भारतीय लोकतंत्र संविधान पर अडिग है।
अंबेडकर जी को भारत रत्न -
महिलाओं को सुरक्षा व समान अधिकार ,,,,तथा दलित को सामाजिक बुराइयों से बचाने का जो कदम अंबेडकर जी ने उठाया था शायद ही कोई ऐसा करता उनके इन्हीं अनूठे ढंग से कार्य करने की रुची से प्रसन्न होकर सन 1990 में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी को भारत रत्न से नवाजा गया तथा अन्य सम्मानित पुरस्कार प्रदान किए|
अंबेडकर जी ने अपनाया बौद्ध धर्म-
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी का धर्म हिंदू था लेकिन अंबेडकर जी का कहना था कि हिंदू मुस्लिम कोई धर्म नहीं होता धर्म है तो बस इंसानियत का और उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ने का फैसला कर लिया इन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करके उसी में सम्मिलित हो गए और इन्हें बोधिसत्व पुरस्कार से सम्मानित किया गया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी का निधन 6 दिसंबर 1958 में हो गया ।
अंबेडकर जी के अनमोल विचार-
अंबेडकर जी कहते हैं . जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए |
मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो समानता स्वतंत्रता तथा भाईचारा सिखाता है|
सबसे पहले तथा तब से आखरी में भी हम भारतीय हैं|
मैं किसी समुदाय की प्रगति उस समुदाय की महिलाओं ने जो प्रगति हासिल की है उससे मानता हूं|
जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते तब तक कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वह आपके किसी काम का नहीं|
ऐसे ही कई अनमोल विचार व कई पुस्तकों का निर्माण डॉक्टर भीमराव अंबेडकरजी ने किया ... ।
-------------धन्यवाद ------------
आप सभी को डा० भीम राव अम्बेडकर जीके बारे में कैषा लगा जरूर बताये --
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jai bheem
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपके इस सुझाव से हमें प्रसन्नता हुई है आपके द्वारा हमें मिला फीडबैक हमारे लिए सौभाग्य की बात है....
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