सचिन रमेश तेंदुलकर S.R.Tendulkar


 भारत रत्न सचिन रमेश तेंदुलकर का जीवन परिचय 

भारत के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित श्री सचिन रमेश तेंदुलकर जी का जन्म 24 अप्रैल सन 1973 को मुंबई में हुआ था इनके पिता रमेश तेंदुलकर मराठी भाषा के उपन्यासकार और कवि थे इनकी माता श्रीमती रजनी तेंदुलकर इंश्योरेंस एजेंट थी इनके पिता ने सचिन का नाम म्यूजिक डायरेक्टर सचिन बर्मन के नाम पर रखा था क्योंकि इन्हें म्यूजिक बहुत पसंद था इन्होंने अपना क्रिकेट का कैरियर 11 साल की उम्र में शुरू कर दिया था|

 ये सिर्फ 10 की परीक्षा पास कर ली थी क्रिकेट खेलने के साथ साथ एजुकेशन भी पूरा कर लिया । इनकी पत्नी का नाम अंजली तेंदुलकर है इनका विवाह 1995 में हुआ था उनके दो बच्चे हैं अर्जुन तेंदुलकर व बेटी सारा तेंदुलकर इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक प्लेइंग इट माय वे सबको पसंद आई है जो विश्व रिकॉर्ड में शामिल है । 

सचिन तेंदुलकर


 सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट कैरियर

भारत रत्न से सम्मानित किए जाने वाले सचिन तेंदुलकर 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था इन्होंने सिर्फ दसवीं की परीक्षा पास की थी कहते हैं ना कितना पढ़े हो यह जरूरी नहीं होता बल्कि यह जरूरी होता है सफलता प्राप्त करने के लिए जुनून कितना है 16 साल की उम्र में पहला टेस्ट रिबूट शुरू कर दिया सबसे ज्यादा स्कोर बनाने वाले सौ ज्यादा इंटरनेशनल तब शतक इंटरनेशनल क्रिकेट में वन डे इंटरनेशनल टेस्ट में मिलाकर 663 मैचों में 134 हजार से भी ज्यादा रन बनाने वाले महान क्रिकेटर माने जाते हैं तो वह है सचिन तेंदुलकर,| 

यह क्रिकेट के ऐसे प्लेयर थे जिन्हें ज्यादा शोर शराबा पसंद नहीं था सार्वजनिक उपस्थिति से कोई लेना-देना नहीं था स्टेडियम में कौन उनके पक्ष में कौन है और कौन उनके खिलाफ इन से कोई लेना-देना नहीं था इन्हें अपनी प्रशंसा करवाना भी पसंद नहीं था |

ज्यादा घूमना पार्टियों में जाना यह सब इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था जाते थे तो केवल स्टेडियम होटल और घर इन्हें बस अपना स्टेडियम पसन्द आता था जैसे भगवान कृष्ण को वृंदावन पसंद था और उन्हें कहीं नहीं जाना अच्छा लगता था वैसे ही हमारे सचिन तेंदुलकर जी को भी स्टेडियम बहुत पसंद है मैथिव हैण्डल का कहना है :- अगर मैंने भगवान देखा है तो वह भारत के लिए चौकी पोजीशन पर बैटिंग करने आता है। 

अपनी प्रेक्टिस पर विश्वास करते थे सचिन तेंदुलकर

 बल्लेबाजी के शहंशाह सचिन तेंदुलकर ने अपनी प्रेक्टिस पर बहुत विश्वास किया है इन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत  प्रैक्टिस से ही कि सुबह 6 से 10 तक नेट प्रैक्टिस करते थे तथा 10:00 से 5:00 तक मैच खेलना फिर शाम 6:00 से 8:00 तक कोच के अपने रमाकांत आचार्यकर जी के साथ भी प्रैक्टिस करना इनका एक ही काम था प्रैक्टिस करना प्रैक्टिस करना पहले प्रैक्टिस करना फिर कुछ भी करना जीतने के बाद प्रैक्टिस हारने के बाद प्रैक्टिस सुबह उठने के बाद प्रैक्टिस सोने से पहले प्रैक्टिस कोई त्यौहार हो तो प्रेक्टिस 26 जनवरी हो तो प्रेक्टिस 365 दिन बस प्रैक्टिस करते थे|

रमाकांत आचार्यकर कहते है कि स्टम्प पर एक का सिक्का रखकर कहता था कि अगर बॉलर ने स्टंप आउट कर दिया तो यह सिक्का बॉलर का हो जाएगा नहीं तो इसे सचिन खेल कर ले जाएगा । इस प्रैक्टिस के दौरान सचिन ने एक-एक के कई सिक्के इकट्ठा किये है ।  मार्क वर्ग कहते हैं कि सचिन की प्रैक्टिस बैटिंग व पिच पर बैटिंग देखकर इतना मजा आता है कि मैं चाहता हूं कि पहले जब बॉलिंग करूं तो कुछ चौके छक्के लग जाएं और मैं आनंद से और बढ़िया खेलूं और मेरे हाथ खुल जाए|

सचिन का कठिनाइयों भरा सफ़र और एक बड़ा लक्ष्य

मैच खेलने के दौरान सचिन तेंदुलकर जी को कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ा सन 2003 में वर्ल्ड कप चल रहा था जहां पर चीन के हाथ में एक पेज आ गया और दर्द शुरू हुई सभी ने कहा उसका इलाज अमेरिका में करवाइए सचिन अमेरिका पहुंचे और अपनी उंगली आगे करके कहा इसका इलाज करना है पर एक बात याद रखना इसको कुछ नहीं होना चाहिए |

 मुझे इसी हाथ से बल्ला पकड़ना है और से खेलना है डॉक्टर ने कहा कि नहीं चीरा लगाएंगे सचिन ने फिर कहा सोच लो मैं फिर कह रहा हूं इसमें चीरा नहीं लगाना है डॉक्टर ने उन्हें बेहोश की दवाई दे दी और अपना इलाज शुरू कर दीया सर्जरी के दौरान ही सचिन को होश आ गया उन्होंने कहा मेरा हाथ दिखाओ मेरा हाथ दिखाओ कहीं चेरा तो नहीं लगाया है मुझे बल्ले को पकड़कर फिर खेलना है डॉक्टर ने हाथ दिखाते हुए सचिन की तरफ मुस्कुराए और कहां भारत धन्य है जो उसे ऐसे क्रिकेटर मिले.. |

एक बार भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हो रहा था फास्ट बॉलिंग के दौरान एक तरफ सिद्धू जी थे तो दूसरी तरफ सचिन तेंदुलकर एक बाल बहुत करते हुए सचिन की नाक पर लग गई और खून बहने लगा दी है उन्होंने कहा कि है  आराम करना चाहिए लेकिन सचिन ने कहा नहीं मैं खेलेगा जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था और अपनी मैच जीत कर कीर्ति स्थापित की थी.. |

सन 1999  में सचिन के पिताजी का देहांत हो गया एक तरफ अपने टीम का उन पर भरोसा तो दूसरी तरफ पिता का अंतिम संस्कार सचिन बहुत टूट गए थे तब उनकी माता ने कहा तुम वापस जाओ और अपना लक्ष्य पूरा करो वापस स्टेडियम में आए तो उनका बहुत ही जोरदार स्वागत किया गया सचिन एक बार फिर 140 रन बनाकर सबके दिलों में राज करने लग गए| 

सचिन की ईमानदारी.

सचिन तेंदुलकर जी की ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं करता यहां तक लोग सचिन तेंदुलकर जी की कसम खाने को राजी हो जाते हैं उन्होंने जब सन 1999 में पहला टेस्ट सेंचुरी मारा तो मैन ऑफ द मैच बना दिया गया इन्हें स्टेज पर शराब की बोतल गिफ्ट की गई सचिन ने उसे लेकर किनारे रख दिया लोगों ने कहा या प्राइवेट रूम है आप ड्रिंकिंग कर सकते हैं लेकिन सचिन ने साफ मना कर दिया क्योंकि उनकी उस समय उम्र 17 वर्ष थी जो शराब पीने के रूल्स मैं नहीं आती थी|

 यह बात बाद में सबको पता चली टीम के सभी क्रिकेटर तंबाकू के स्टीकर लगाकर मैच खेलते थे लेकिन सचिन ने स्टीकर हटा दिया और प्रचार करने से साफ मना कर दिया ऐसे हैं क्रिकेटर केभगवान  ईमानदारी के प्रतीक सचिन तेन्दुलकर । 


सचिन सर

सचिन के अवार्ड व रिकॉर्ड:-

 विश्व के पहले ऐसे स्पोर्ट्समैन हैं भारत रत्न सचिन तेंदुलकर यह सबसे युवा खिलाड़ी थे जिन्हें भारत रत्न से नवाजा गया अन्य भी अवार्ड से नवाजा गया जैसे पदम विभूषण पदम श्री राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार अर्जुन अवार्ड जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है

 क्रिकेट के साथ-साथ राज्यसभा के मेंबर भी रह चुके हैं सचिन तेंदुलकर जी इनके रिकॉर्ड आज भी नेशनल रिकॉर्ड मैं अंकित है उनकी कप्तानी में दो बार वर्ल्ड कप जीता गया जो इतिहास के पन्नों में अंकित हो चुका है... 

सुधीर कुमार गौतम को सचिन का आशीर्वाद

सचिन रमेश तेंदुलकर की बात हो और सुधीर कुमार गौतम के ना हो तो ऐसा लगता है जैसे पूरी रामायण में हनुमान का पात्र गायब हो गया हो सुधीर कुमार गौतम सचिन का इतना बड़ा फैन था कि मुजफ्फरपुर से मुंबई तक का सफर साइकिल से तय करने के बाद 2003 में मुंबई के मैच में 1700 किलोमीटर चलकर पहुंचे कई दिन लग गए थे सुधीर कुमार गौतम गरीब थे सचिन ने इन्हें फ्री टिकट दिये एक जगह ही नहीं बंग्लादेश पाकिस्तान हर जगह साइकिल चलाकर सचिन की बैटिंग देखने पहुंचते थे 

उन्होंने अपने 16 साल तक शरीर पर तिरंगा को पेंट कर रखा और हर मैच देखने के लिए साइकिल से जाते थे सचिन सर ने जब 2011 में दूसरा वर्ल्ड कप जीता तो सुधीर कुमार गौतम को अपने ड्रेसिंग रूम में बुलाकर वर्ल्ड कप पकड़ा कर फोटो खींची जो सोशल मीडिया पर शेयर की थी जो सोशल मीडिया से इतना ज्यादा वायरल हुई कि लोग सुधीर कुमार गौतम की भी प्रशंसा करने लगे सचिन तेंदुलकर सभी के दिलों पर राज करते हैं।

Steve waugh का कहना है कि सचिन ऐसे खिलाड़ी है जिससे हार भी जाऊं तो शर्म नहीं लगती है। 
Mark Taylor कहते हैं हम मैच भारत से नहीं हारते हम तो सचिन तेंदुलकर से हार जाते हैं। 

सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट से सन्यास


मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 16 नवंबर 2013 का वह दिन जो इतिहास के पन्नों में अंकित हो गया और पूरे स्टेडियम में बैठे दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए थे सचिन तेंदुलकर जी ने अपने क्रिकेट कैरियर का सन्यास 16 नवंबर 2013 को ले 24 साल के कैरियर से इस तरह से सन्यास लेना दर्शकों की आंखों में आंसू नहीं रोक पाए उन्होंने एक-एक कर अपनी सभी समस्या और सभी दर्शकों को धन्यवाद दिया बताया कि उन्होंने कैसे अपनी सफलता को प्राप्त किया.. . 
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आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते है यह पोस्ट कैसी लगी आप हमें जरूर बताये.. 

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1 टिप्पणियाँ
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