केदारनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है
भगवान शिव जी के पांच अलग अलग मंदिरों में से केदार नाथ धाम भी एक महज समूह का प्रमुख हिस्सा माना जाता है पंडित राहुल सांक्र्त्यायन जी के मतानुसार ये मंदिर १२ -१३ वी शताब्दी का है केदार नाथ मंदिर के उद्गम की आयु का कोई एतिहासिक प्रमाण नही है पर कई हजार वर्षो पूर्व से ये धाम महत्वपूर्ण रूप से माना जा रहा है |
भगवान शिव के इस पावन धाम पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना का इतिहास यह है की हिमालय की केदार श्रंग पर भगवान विष्णु के अवतार रुपी नर और नारायण महातपस्वी ऋषि तपस्या करते थे तपस्या से प्रसन्न होकर उनके आराध्य भगवान शिव प्रकट होते है |
और अपनी इच्छा अनुसार वर मागने को कहते है नर और नारायण जी ने भगवान शिव से जन कल्याण के लिए धरती पर वाश करने का वर मांगा तब भगवान शिव केदार नामक पर्वत पर जन कल्याण के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में सदैव वास करने लगे |
स्वर्ग का द्वार,क्यों है केदार - |
अलकनंदा की सुनामी में तीन ओर से ताश के पत्तो की तरह बहते पर्वत और भवन चारो तरफ भीषण प्राक्रतिक आपदाएँ लेकिन बीचो बीच अडिग खड़े केदारेश्वर भीषण बर्फ बारी होने के बावजूद मंदिर का एक पत्थर तक न हिला पाने का एक ही कारण है भगवान शिव की शक्ति..
देवता अशुर और मनुष्य अपने कल्याण के लिए केदारेश्वर में आते है और यंहा आना जाना लगा रहता है सभी भगवान शिव की पूजा आराधना करते है अतः ये पर्वत केदारनाथ शिव से व्याप्त है वेदों और पुराण में इस पर्वत की महिमा का वर्णन विस्तार रूप से किया गया है|
स्कन्द पूराण के अनुसार प्राचीन काल में स्वायम्भुव मन्वंतर में हिरन्याक्ष नाम का एक महाबली और म्हातेजश्वी दैत्य था उसने अपने तप के बल से इन्द्र को स्वर्ग से निकाल दिया और त्रिलोकी पर अपना अधिकार जमा लिया देवताओ के साथ इन्द्र गंगोत्री के पास तप करने लगा तब भगवान शिव ताप से प्रसन्न होकर अपना महिष भैसे का रूप रखकर इन्द्र के पास आये-
और कहा बताओ किस अशुर को समाप्त कर दू तब इंद्र ने कहा हे प्रभो मेरी रक्षा हिरन्याक्ष,सुबाहु ,वक्त्रकंधर ,त्रिश्रंग और लोहिताक्ष जैसे पांच दैत्य से करदो तब भगवान भैसे के रूप में इन पांचो का वध करते है वध करने के पश्चात वे केदार नामक पर्वत पे विराजमान हो जाते है जिससे सभी देव उसे ही स्वर्ग मानने लगते है|
सत्ययुग में उपमन्युजी ने यंही भगवान संकर की आराधना की थी | द्वापर में यंहा तपस्या कर दुखो से मुक्ति पाई थी | केदार नाथ में कोई मूर्ति नही है लेकिन भगवान् शिव का अंश पांच मुखो से युक्त विशालकाय खंड शिला है जिसको देखने के पश्चात वन्ही से स्वर्ग दिखने जैसी अनुभूति होती है |
केदारनाथ धाम की महिमाकेदारनाथ धाम एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहाँ पर एक नही सैकड़ों महिमाए क्रतित है हर वर्ष लाखो की तादात में भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्त जन अलग अलग जगहों से प्रस्थान करते है केदार नाथ की महिमा में केदारेश्वर का जल कुण्ड बहुत ही प्रचलित है | ऐसा माना जाता है इस जल कुण्ड का जल ग्रहण करेगा उसे बार बार पुनर्जन्म का सामना नही करना पड़ेगा तथा अपने सभी पितरो का उध्हार भी कर पाएगा हाल ही में सन 2013 में एक विशाल घटना हुई थी जिसमे जल प्रलय से लाखो लोग तबाह हो गये खा जाता है केदार की जगह पर कुछ गिनोने काम होने लगे थे तो इस वजह से प्रलय आई थी _ घटना देखे |
केदार नाथ मंदिर किस राज्य में आता है
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में आता है प्रथ्वी पर वैसे तो असंख्य ज्योतिर्लिंग है लेकिन शिव के 12 प्रधान मंदिरों में से केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक है जन्हा पर सच्चे मन से मांगी गयी मुराद अवश्य पूरी हो जाती है इशिलिये हर वर्ष यंहा पर लाखो श्रद्धालु अपनी भक्ति भावना से मुराद लेकर आते है|
केदारनाथ कब जाये
पाण्डव वंश के जन्मेजय द्वारा कत्यूरी शैली नामक तत्त्वों से निर्माण किया गया वृषभनाथ भगवन के दर्शन हेतु केदारनाथ अप्रेल के महीने से लेकर नवम्बर माह के मध्य जाया जा सकता है क्योकि कम तापमान के कारण बर्फ बारी का भूस्न्ख्नल का खतरा अधिक बढ़ जाता है सन 2013 के बाद हर वर्ष केदारनाथ के कपाट खुलने का समय तय किया जाता है|
मंदिर के कपाट अधिकतर महाशिवरात्रि के दिन यानि अक्षय त्रतीया के दिन खोले जाते है ये तिथि भी पुजारियों द्वारा तय की जाती है तथा कपाट बंद होने का समय नियमानुसार दर्शन दीपावली के बाद संभव नही है इशलिये केदार नाथ अप्रेल से नवम्बर के मध्य जाये |
केदार नाथ जाने से क्या लाभ है
केदार नाथ धाम के धार्मिक स्थल में जाने के कई लाभ है !
1 भगवान शिव के प्रमुख पांच अंग में से एक अंग का अंश विदमान है जिससे वंहा के ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से जीवन धन्य हो जाता है|
2 ऊँचे ऊँचे पर्वत देखने को मिलता है तथा अलकनंदा का उद्गम देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है|
3 केदारेश्वर कुण्ड का जल ग्रहण करने से आने वंश के सभी पुरखो का उद्धार हो जाता है |
4 केदार नाथ मंदिर जाने से मानसिक तनाव जैशी बीमारी छूमन्तर हो जाती है|
5 केदार नाथ जाने से ही बद्रीका धाम की यात्रा पूर्ण मानी जाती है |
आप सभी से निवेदन केदार नाथ धाम जाने की योजना बनाने से पहले अपना चिकत्सीय परिक्षण निकटतम स्वास्थ केंद्र पर अवश्य करा ले तथा हेल्पलाइन no. से जानकारी अवश्य कर ले हर राज्य का अलग अलग no, है
भगवान भोले नाथ आप सभी का कल्याण करे आप सब को ये पोस्ट कैसी लगी आप हमें जरुर बताये |
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