सम्राट प्रथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय ,सुपरिचित इतिहास एवं संघर्षशील कहानी -
सर्वव्यापी चौहान वंश के सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय लिखते हुए गर्व महसूस करता हूं कारण यह है कि पृथ्वीराज चौहान ही अंतिम हिंदू शासक थे उनके पिता श्री के मृत्यु पश्चात अपनी कुल 11 वर्ष की उम्र में दिल्ली अजमेर जैसे स्थानों का शासन संभाल कर अपनी सीमाओं को चारों ओर फैलाने का काम किया सम्राट पृथ्वीराज बचपन से ही एक कुशल योद्धा माने जाते थे ये अपने तुनीर में शब्दभेदी बाण और हाथ में धनुष रखते थे.. आओ थोड़ा विस्तार से जाने|
जीवन परिचय सम्राट पृथ्वीराज चौहान का-
भारत के गुजरात राज्य में आने वाला क्षेत्र पाटन बहुत ही मशहूर है जहां पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1 जून सन 1149 में हुआ उनके पिता का नाम सोमेश्वर था तथा इनकी माता कर्पूर देवी थी इनका छोटा भाई हरीराज व छोटी बहन प्रथा थी इनका धर्म हिंदू था और ये चौहान वंश के वंशज थे मात्र 11 वर्ष की आयु में इनके पिता का स्वर्गवास हो गया
जिससे पिता का पूरा भार पृथ्वीराज पर आ गया पृथ्वीराज के कई नाम विख्यात हैं जैसे पृथ्वीराज तृतीय, हिंदू सम्राट, भरतेस्वर ,राय पिथौरा अन्य कई नाम बचपन से विख्यात है पिता की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज ने राज्य की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनी सीमाओं का विस्तार किया और कुशल युद्ध करके राजाओं को पराजित करते चले गए|
मित्रता पृथ्वीराज चौहान की-
भाई जैसा दायित्व निभाने वाले चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के सबसे अच्छे दोस्त थे आनंदपाल के नाती चंदबरदाई तोमर वंश के थे इनकी मित्रता पूरे विश्व में फैली हुई थी इन दोनों शासकों ने मिलकर पिथौरागढ़ का निर्माण किया वह कहते हैं ना पृथ्वीराज चौहान तथा चंदबरदाई दोनों की सोच थी कदम से कदम मिलाकर चल यह मत देख जल है या थल पृथ्वीराज चौहान तथा चंद्रवरदाई के साझे से बना पिथौरागढ़ आज भी दिल्ली में पुराने किले के नाम से विख्यात है|
पृथ्वीराज चौहान का प्रेम प्रसंग
कन्नोज की राजकुमारी संयोगिता तथा पृथ्वीराज चौहान का फ्रेम प्रसंग तो आज भी राजस्थान की गली गली में विख्यात है कहते हैं पृथ्वीराज चौहान राजकुमारी संयोगिता से बिना मिले भोजन भी नहीं करते थे एक दूसरे के प्यार में इतना मोहित हो चुके थे कि अपने राज्य की सीमाओं को भी लाघ जाते थे जब की राजकुमारी संयोगिता के पिता जय चंद्र पृथ्वीराज को देखना भी पसंद नहीं करते थे |
पृथ्वीराज से इतनी ईर्ष्या रखते थे कि कब मौका मिले और कब इसे सबके सामने नीचा दिखा दूं... धीरे-धीरे कहानी बढ़ती गई पृथ्वीराज के प्रेम प्रसंग की भनक जय चंद्र को लगी तो जय चंद्र ने पृथ्वीराज को नीचा दिखाने के लिए एक उपाय सोची जय चंद्र दूर-दूर से सभी राजा राजकुमारों को निमंत्रण दिया कि संयोगिता का स्वयंवर रखा गया है |
संयोगिता का विवाह संपन्न होगा यह निमंत्रण पृथ्वीराज चौहान को छोड़कर और सभी राजकुमारों को मिला लेकिन कहते हैं प्यार की हमेशा ही जीत होती है पृथ्वीराज ने संयोगिता का अपहरण करने का निर्णय लिया और बीच सभा में संयोगिता का अपहरण करके अपनी सियासत दिल्ली आकर विधि विधान से विवाह संपन्न कर लिया संयोगिता के अपहरण के बाद जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच कट्टर शत्रुता बढ़ गई !
पृथ्वीराज चौहान के महारथी व विशालकाय सेनाएं
सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सीमा से सटे हुए लोग डर से थर्रा उठते थे जब पता चलता था कि पृथ्वीराज की सेना ने उन पर आक्रमण कर दिया है क्योंकि तीन लाख से भी अधिक महारथी सेना में थे साथ ही 300 हाथी, हजारों की सेना में घुड़सवार जो अस्त्र-शस्त्र की विद्याओं से निपुण थे और स्वयं पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी विद्या बाण का प्रयोग करना जानते थे |
सम्राट पृथ्वीराज चौहान , मोहम्मद गौरी के बीच का प्रथम तराइन युद्ध -
ऐसा माना जाता है कि पृथ्वीराज की सेना को किसी भी सेना से जीत कर आने की लत लग गई थी पृथ्वीराज चौहान तथा सेना का एक ही मकसद था अपने राज्य का विस्तार करना और इस बार उनका निशाना बना पंजाब जहां पर मोहम्मद गौरी का शासन चलता था बिना युद्ध के इस पर अधिकार जमा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था पृथ्वीराज ने अपनी सेना को लेकर मोहम्मद शाबुद्दीन गौरी पर सन 1191 में आक्रमण कर दिया यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा अंत में मोहम्मद गौरी की सेना ने हथियार डाल दिया और राज छोड़कर भाग गए इस तरह मुगलों से पंजाब को जीतने पर लगभग 8 करोड की पूंजी पर अधिकार पा लिया गया जो पूरी सेना को इनाम के तौर पर बांट दी गई थी !
तराइन का द्वितीय युद्ध, मोहम्मद गौरी बनाम सम्राट पृथ्वीराज चौहान -
प्रथम तराई युद्ध के पश्चात मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान से बदला लेने के लिए अंदर ही अंदर योजनाएं बनाने लगा लेकिन कमजोर होने के कारण उस पर आक्रमण करने से डरता था यह बात जब संयोगिता के पिता जय चंद्र को पता चली तो दोनों ने मिलकर राजपूतों को भड़काने का काम किया क्योंकि मैं योगिता के पिता जयचंद्र अपनी बहन का अपहरण होने से बहुत नाराज थे |
और पृथ्वीराज को अपना दुश्मन मानते थे जयचंद ने मोहम्मद गौरी का साथ देकर एक विश्वयुद्ध की योजना बना दी सन 1192 में पुनः मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर दिया यह आक्रमण इतना योजना बद्ध था कि पृथ्वीराज चौहान का वार खाली जाता था तब पृथ्वीराज चौहान के मित्र चंदबरदाई युद्ध में मदद के लिए राजपूतों के पास गया किंतु स्वयंवर में हुए अपमान से राजपूत क्रोधित थे|
और मदद करने से साफ इनकार कर दिया तब पृथ्वीराज अकेले पड़ गए कुछ देर युद्ध करने के बाद जयचंद की धोखेबाजी से पृथ्वीराज को चारों तरफ से घेर लिया गया और पृथ्वीराज को बंदी बना लिया गया साथ ही में चंदबरदाई ने अपना आत्मसमर्पण कर दिया मोहम्मद गौरी अब पंजाब दिल्ली अजमेर का शासक बनने वाला था किंतु जयचंद्र इनसे एक राज्य मांगने लगा तो मोहम्मद गोरी ने जय चंद्र को वहीं पर मार दिया पृथ्वीराज चंद्रवरदाई को बंदी बनाकर कारागार में बंद कर दिया |
पृथ्वीराज चौहान का निधन 11/03सन1192
तराइन के द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बनाकर तरह-तरह की यातनाएं दी पृथ्वीराज की आंखों में गर्म लोहे की रॉड डालकर जला दिया जिसने पृथ्वीराज की आंखें खराब हो गई पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी से कहा मुझे मार दो किंतु मेरी एक आखरी इच्छा पूरी कर दो मुझे मेरे मित्र चंद्रवरदाई को बीच सभा बुला दो मुझे उस पर शब्दभेदी बाण का प्रयोग करना है |
यह बात सुनकर मोहम्मद गौरी हंसने लगा और कहा सभा आयोजित की जाए सभा में चंदबरदाई को बुलाया गया और उनसे दोहा कहलाया गया दोहे के शब्द सुनकर पृथ्वीराज से बाण चलाने को कहा गया पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी के शब्द जब तूने तो चंदबरदाई की जगह मोहम्मद गौरी के ऊपर शब्दभेदी बाण का प्रयोग कर दिया जिससे बीच सभा में मोहम्मद गौरी की मृत्यु हो गई मृत्यु के पश्चात अफरा-तफरी मच गई जिससे चंदबरदाई तथा पृथ्वीराज चौहान भी वीरगति को प्राप्त हो गयी प्रथ्वीराज चौहान की मर्त्यु की खबर पाकर संयोगिता ने भी तप्त कुंड में आत्मदाह कर लिया |
नोट ;- मोहम्मद गौरी के म्रत्यु के विषय में अलग अलग बाते प्रचलित है साथ ही युद्ध के विषय में भी कई बाटे प्रचलित है |
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प्रथ्वीराज की मूवी में पूरी कहानी -
महान अभिनेता अक्षय कुमार के अभिनय से प्रथ्वीराज चौहान फिल्म 3 मई सन 2022 को रिलीज हुयी है जिसमे प्रथ्विराज जी के जीवन यापन अथवा वीरता का सन्दर्भ प्रस्तुत किया गया है ये फिल्म उनके पराक्रम को दिखाती है इसका निर्देशन चंद्रप्रकाश जी ने किया था इस फिल्म में आपको अक्षय कुमार ,सोनू सूद ,मानुषी चिल्लर ,संजय दत्त और कई लोगो के साथ आशुतोष राणा भी दिखायी देंगे |
प्रश्नोत्तरी
प्रश्न :- प्रथ्वीराज चौहान का जन्म कब और कन्हा हुआ था इनके पिता का नाम क्या है ?
उत्तर :- प्रथ्वीराज चौहान का जन्म सन 1149 में भारत के गुजरात राज्य में हुआ था इनके पिता का नाम सोमेश्र्वर था |
प्रश्न :- प्रथ्वीराज चौहान का विवाह किससे हुआ ?
उत्तर :- प्रथ्वीराज चौहान का विवाह जयचंद्र की पुत्री संयोगिता से हुआ था जो अपहरण करके किया गया था
प्रश्न :- प्रथ्वीराज चौहान का मित्र कौन था ?
उत्तर :- प्रथ्वीराज चौहान का मित्र चंदबरदाई था |
प्रश्न :- प्रथ्वीराज चौहान कहा का राजा था ?
उत्तर :- प्रथ्वीराज चौहान अजमेर एवं दिल्ली का राजा था जिसने मुगलों के छक्के छुडाये थे |
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एक ऑफर आप सभी के लिए सबसे अच्छा ---
अन्य पोस्ट -सचिन तेंदुलकर
बहुत बहुत धन्यवाद आपके इस सुझाव से हमें प्रसन्नता हुई है आपके द्वारा हमें मिला फीडबैक हमारे लिए सौभाग्य की बात है....
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