जन्माष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि Janmashtami vrat

 ब्रह्म पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतार द्वापर युग में भाद्रपद मासे जन्माष्टमी की तिथि को हुआ था ! 

क्यों मनायी जाती है जन्माष्टमी 

ऐसा माना जाता है जब जब पृथ्वी पर धर्म के प्रति अत्याचार की शुरुआत हो जाती है और अन्याय चरम सीमा पार कर जाता है तब तब भगवान विष्णु पृथ्वी की रक्षा करने के लिए किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं इसी तरह द्वापर में कंस का अत्याचार चरम सीमा पार कर रहा था ऋषि मुनि भयभीत थे और भगवान विष्णु की स्तुति करते थे कि हे प्रभु इस पृथ्वी की रक्षा करो तब भगवान विष्णु कृष्ण के रूप में भाद्रपद ( भादो) की जन्माष्टमी की रात को अपनी माता देवकी तथा वासुदेव के समक्ष कंस के कारागार में अवतरित हुए थे ! इसी अवतरण के बाद से ही पूरे भारत व अन्य देशों में भी इस जन्माष्टमी को पूरे हर्षोल्लास के साथ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है जबकि मथुरा वृंदावन में इसकी महानता सबसे अधिक है 


कृष्ण का जन्म कारागार में क्यों हुआ

ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में कंस दैत्य वंशज होने के उपरांत अपनी बहन देवकी को बहुत मानता था प्यार करता था उसके लिए वह कुछ भी कर सकता था किंतु देवकी जब विवाह योग्य हो गयी तो उनका विवाह वासुदेव जी से हो गया विवाह बड़ी धूमधाम के साथ हुआ विवाह के उपरांत विदाई की शुभ बेला में कंस ने कहा मैं अपनी बहन देवकी को स्वयं विदा करने जाऊंगा जिससे मेरी बहन देवकी को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो विदा करने के लिए देवकी व वासुदेव को अपने रथ पर बिठा लिया और वासुदेव के घर लेकर चल पड़ा इतने में आकाशवाणी होती है की जिस बहन को तू इतना प्यार कर रहा है इसी का आठवां पुत्र तुम्हारा काल होगा
 कंस ऐसी आकाशवाणी सुनकर भयभीत हो गया और देवकी को अपना शत्रु मान लिया अपनी मृत्यु को जीतने के लिए उसने देवकी और वासुदेव को कारागृह में डाल दिया और वह स्वयं को भगवान समझने लगा कंस ने कहा मैं इस के आठवें पुत्र को जान से मार डालूंगा और अमर हो जाऊंगा

कुछ दिनों पश्चात देवकी ने अपने पहले पुत्र को जन्म दिया कंस बहुत प्रसन्न हुआ और कहा मैं इस पुत्र को क्यों मौत के घाट उतारू क्योंकि यह मेरा दुश्मन नहीं है मेरा दुश्मन तो देवकी का आठवां पुत्र है कंस की बात सुनकर नारद मन ही मन प्रसन्न हुए और भगवान श्री नारायण की लीला देखने के लिए कंस के पास आए और 8 कमल के फूल रखकर कहा इनमें से पहला कौन है और आठवां कौन है कंस के समझ में आ गया और उसने अपने आता ताई और राक्षसी स्वभाव के कारण देवकी का पहला पुत्र मार डाला एक-एक करके उसने देवकी के सात पुत्रों की जान ले ली यह मंजर बहुत ही दुखदाई था |

तब भगवान विष्णु ने अपना कृष्णावतार देवकी के आठवीं पुत्र के रूप में लिया ऐसा माना जाता है जब भगवान कृष्ण का अवतार हुआ तब कारागृह के सभी ताले खुल गए व सभी पहरेदार निंद्रा अवस्था में चले गए तब वासुदेव उन्हें अपने सिर पर भगवान श्री कृष्ण को रखकर गोकुल चले गए और वहां पर जन्मी माया को अपनी पुत्री के रूप में कारावास ले आये |


जन्माष्टमी पूजा विधि 

जन्माष्टमी को व्रत रखने अथवा पूजा करने के लिए सुबह सुबह अपने बिस्तर को त्याग कर धरती माता को स्पर्श करे तब पश्चात स्नान करें स्नान करने के बाद मदन गोपाल अथवा श्रध्दा अनुसार बनाये गए (लाये गए) भगवान श्री कृष्ण को साफ बर्तन में बैठाए पंचामृत अथवा साफ जल से स्नान कराए,सुगन्धित तेल व हल्दी से लेप करे मालिश करें फिर साफ कपड़े से लपेट ले.. फिर मखाना व किशमिश के बने माला को पहनावे , पुष्प धूपबत्ती कपूर से आरती करें  , पीताम्बर पहनावे मौसमी पांच प्रकार के फल रखे भगवान के कीर्तन करें साथ ही प्रार्थना करें तथा कहें "श्रीकृष्ण गोबिंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा''

तब पश्चात खीर पूड़ी हलवा अथवा 56 भोग बनाकर भगवान का भोग लगायें फिर आरती कर प्रसाद वितरण करें... 
सायंकाल फिर आरती करें और कीर्तन करें रात को जहां तक हो सके जगो तथा मध्यरात्रि में जन्मदिन का भोग लगायें स्तुति करें "भये प्रगट कृपाला दीनदयाला" रात्रि में ढोल , शंखनाद आदि जरूर करें तब पश्चात जन्माष्टमी की कथा सुने... 

जन्माष्टमी की कथा 

एक बार की बात है नारद पृथ्वी लोक से देवलोक की ओर जा रहे थे तभी इंद्र की नजर नारद जी के ऊपर पड़ जाती है तो इंद्र ने नारद जी को रोकते हुए कहा हे श्रेष्ठ मुनि आज जन्माष्टमी है मुझे जन्माष्टमी की कथा सुनाने की कृपा करें तब नारद ने जन्माष्टमी की कथा सुनाते हुए कहा बहुत समय पहले की बात है त्रेता युग के अंत व द्वापर युग के उद्गम के समय भगवान श्री कृष्ण जी का अवतार हुआ अवतार होने के पश्चात वासुदेव ने मथुरा से कृष्ण को सूप में लेकर चल पड़ते हैं जोरदार बारिश व कड़कती बिजली वासुदेव को बहुत डरा रही थी वासुदेव चलते-चलते यमुना नदी के तट पहुंच गए तथा यमुना को पार करने के लिए यमुना में चल पड़े यमुना में माता गंगा भगवान विष्णु के दर्शन करना चाहती थी धीरे-धीरे यमुना का जलस्तर बढ़ने लगा तब भगवान कृष्ण ने अपने पैर सूप से बाहर निकाले और मां गंगा को दर्शन दिए दर्शन के पश्चात जलस्तर अपने आप कम पड़ गया 


इंद्र ने कहा हे मुनिवर जन्म के पश्चात भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप रखने के बाद कंस का वध कैसे किया , यह बात सुनकर नारद प्रसन्न हुए और कहा बाल्यावस्था के दर्शन मात्र से ही मुझे पूतना वध, बकासुर,कालिया नाग का अभिमान तोड़ना स्मरण हो जाता है हे इंद्र कृष्ण को मारने के लिए कंस ने न जाने कितने असुरों को गोकुल भेजा किंतु क्षणभर में मदन गोपाल ने उनका वध कर डाला तब असुर कंस ने अपने मथुरा में कृष्ण को आमंत्रित किया तथा कृष्ण को मारने के लिए योजनाएं बनाई किंतु भगवान श्री कृष्ण ने एक एक कर उनकी सभा में बैठे विशाल राक्षसों को पटक-पटक कर मार डाला उसके बाद कंस ने कृष्ण के ऊपर प्रहार किया कृष्ण ने कंस के केस पकड़कर जमीन पर पटक दीया और कुछ ही समय पश्चात कंस का भी बंद कर दिया जिसके बाद पूरे मथुरा गोकुल में भगवान कृष्ण के जय जयकार होने लगे

व्रत के लाभ

इंद्र ने कहा है नारद जन्माष्टमी के व्रत से क्या लाभ मिलता है तब मुनिवर नारद ने कहा हे इन्द्र हजारों अश्वमेध यज्ञ, सहस्त्र राज सूर्य यज्ञ, दान तीर्थ और व्रत से जो फल प्राप्त होता है वह सब मात्र कृष्णाष्टमी के व्रत से मिल जाता है जो भी इस व्रत को ब्रम्हचर्य को ध्यान में रखते हुए करता है उसको मनचाहा फल की प्राप्ति होती है उनके बिगड़े हुए सभी काम बन जाते हैं और सभी देवताओं की कृपा बरसने लगती है हे इंद्र कृष्ण अष्टमी की यह कथा सुनने अथवा सुनाने वाले को भी लाभ होता है जन्माष्टमी के व्रत से पूरे परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है

यह भाद्रपद का महीना हम सबके भगवान विष्णु व अन्य सभी देवताओं का माना जाता है क्योंकि इसी माह में भगवान कृष्ण का अवतार हुआ है जिससे यह श्रेष्ठ है|
आप सभी को मेरी तरफ से जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं🙏
यशुदा जी के लाल के दुलार भी निराले है , 
कमल से नेत्र अरु बाल घुंघराले है ! 
जाने कैसे जानते हैं जादू पगधूली का सब , 
तीनों लोको के ये राजा काली कमली वाले है... !! 
पालना है छोटा वो तो जग पालन हारी है , 
आज रात आने वाले मदन मुरारी है !!! 
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1 टिप्पणियाँ
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